घर में दर्पण रखने से पहले अच्छी तरह सोच ले। वास्तु शास्त्र के अनुसार दर्पण आपकी जिंदगी बदल सकता है।

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वास्तु शास्त्र के अनुसार निर्मित भवन में आंतरिक साज-सजावट और विभिन्न वस्तुओं की स्थिति भी वास्तु को प्रभावित करती है। दर्पण भी वास्तु की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी माना जाता है। वास्तव में दर्पण केवल चेहरा देखने, सजावट के रूप में भवन में लगाने अथवा श्रृंगार करने की वस्तु मात्र नही है, बल्कि इसका वास्तु के सिद्धांत के अनुसार उपयोग करने से जीवन में बदलाव देखने को मिलते है। घर में दर्पण के सही उपयोग से अनेक वास्तु दोष का निवारण होता है। 

कहाँ और कैसे लगाए दर्पण Vastu Tips For Mirror in hindi

(1) वास्तु के नियम के अनुसार अगर भवन में किसी प्रकार का कोई बाधा है, तो उसके निवारण के लिए भवन के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने या उत्तर दिशा की ओर दीवार पर एक बङे आकार का दर्पण लगाये। इससे आने वाली अशुभ शक्तियां प्रवर्तित होकर लौट जाती है। 

(2) दर्पण लगवाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखे की यह समतल और स्पष्ट प्रतिबिंब बनता हो। दोषपूर्ण दर्पण लगाना अशुभ होता है। इसका आकार वर्गाकार या आयताकार हो तो बेहतर है। तिकोने या अन्य आकार वाले दर्पण लगाने से बचे।

(3) भवन के उत्तर-पूर्व दिशा के कोण में दर्पण लगाना शुभ होता है। इससे भवन स्वामी की आय में वृद्धि होने के साथ-साथ घर में सुख-शांति बनी रहती है। इसके फ्रेम का रंग स्वेत, आसमानी, हल्का नीला, हरा, क्रीम रंग का हो। यदि कोई दुकान या कारखाना घाटे में चल रहा हो, तो वहाँ ईशान कोण में दर्पण लगाना शुभ होता है।

(4)  भवन का ईशान कोण अगर कटा हुआ है, तो उस भाग में अंदर की ओर दर्पण लगाने से दोष दूर होता है।

(5) शयन कक्ष ( wedroom) में दर्पण न लगाए। इससे पति-पत्नी के बीच तनाव उत्पन हो सकता है। शयन कक्ष में दर्पण लगाये भी, तो उसे प्रयोग के बाद ढक कर रखे। दर्पण लगी हुई आलमारी किसी भी दशा में दक्षिण-पश्चिम दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम कोण में न रखे।

(6) भवन में टुटा या चटका दर्पण न रखे। दक्षिण दिशा में भी दर्पण लगाने से अशुभता आती है।

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