जैसा आप सोचते है, आप वैसे ही बन जाते है भगवान बुद्ध की प्रेरणा दायक कहानी – Best Gautam Buddha stories in hindi for life

 

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एक बार गौतम बुद्ध और उनके शिष्य एक वन से गुजर रहे होते है। बहुत दूर चलने के बाद भगवान बुद्ध के शिष्य बुद्ध से कहते है, बुद्ध क्या हम कुछ देर विश्राम कर सकते है। बुद्ध कहते है, अवश्य अब हमे विश्राम करना चाहिए, ओ देखो एक बड़ा वृक्ष है। हम उसके नीचे विश्राम करेंगे। बुद्ध और उनके सभी शिष्य उस वृक्ष के नीचे बैठ जाते है। उनमें से एक शिष्य ने बुद्ध कहता है, बुद्ध आपने हमसे एक बात कही थी कि! हम जैसा सोचते है हम वैसा ही बन जाते है। कृपा करके इस कथन को विस्तार से समझाइए, बुद्ध कहते है अवश्य, मै तुम्हे एक छोटी सी कहानी सुनाता हूं।

एक नगर में एक बहुत धनी सेठ रहता था। उसके पास धन की कोई कमी नहीं थी। परन्तु फिर भी हर समय धन इकट्ठा करने के बारे में सोचता रहता था। एक बार सेठ के घर उसका एक रिश्तेदार आता है। सेठ उसकी खूब खातेदारी करता है। बातों-बातों में सेठ का रिश्तेदार सेठ से कहता है, अरे सेठ जी हमारे नगर में एक नामी गिरामी सेठ रहता था। वह आप से ज्यादा धनवान था। वह सेठ पूछता है, पर तुम एक बात बताओ। तुम उसे रहता था क्यों कह रहे हो। सेठ का रिश्तेदार कहता है। रहता था मै इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि वह अब जीवित नहीं है, वह मर चुका है, सेठ बेचारा धन को इकट्ठा करते-करते वह यह भी भूल गया कि मृत्यु नाम कि चीज होती हैं, सेठ को भी आती हैं। सेठ उस व्यक्ति से पूछता है, क्यों क्या कारण हुआ जिससे उसकी मृत्यु हो गई, सेठ का रिश्तेदार कहता है, कारण तो कुछ ना था अचानक ही उसका बुलावा आ गया और उसको जाना पड़ा। 
सेठ कहता है अरे ऐसे कैसे बुलावा आ गया उसे कोई बीमारी रही होगी। वह व्यक्ति कहता है नहीं उसे कोई बीमारी नहीं थी। वह तो अचानक ही मृत्यु को प्राप्त हो गया। सेठ अपने रिश्तेदार की बात सुनकर हैरान रह जाता है।क्योंकि अब तक वह सोचता था कि मृत्यु बुढ़ापे में आती है। या किसी बिमारी के कारण आती है। क्योंकि सेठ अभी जवान है, वह अभी मरना नहीं चाहता। 
अगले दिन वह रिश्तेदार अपने घर चला जाता है। परन्तु सेठ को एक बहुत बड़ी समस्या दे जाता है। की सेठ को भी मृत्यु आ सकती है। सेठ जैसे पहले धन के बारे में सोचता था, अब केवल मृत्यु के बारे में सोचने लगता है। की कही मुझे मृत्यु ना आ जाए। समय बीतता है, सेठ बहुत कमजोर होने लगता है। क्योंकि वह अब सही से ना खाता है और ना पिता है। केवल मृत्यु के बारे में सोचता है। उसकी जीवा पर केवल एक ही कथन रहता था। कही मेरी मृत्यु ना हो जाए। और वह बीमार हो जाता है। उसकी ऐसी स्थिति हो जाती है, मानो कभी भी प्राण निकल जाय। सभी लोग उस सेठ की ऐसी हालत देखकर बडे़ आश्चर्य चकित होते है। क्योंकि उन्होंने देखा था, वह शेठ हमेशा खुश रहता था। उसके पास धन की कोई कमी नहीं थी, पर अब इसको क्या हुआ। अब सेठ कही आता जाता नहीं था। केवल एक जगह लेता रहता था। 
उस सेठ की हालत देखकर उस सेठ का एक मित्र एक सन्यासी को उस सेठ के पास लाता है और कहता है, सुनो यह बहुत प्रसिद्ध सन्यासी है। तुम अपनी समस्या इन्हे बताओ ये उसका जरूर समाधान बताएंगे वह सन्यासी उस सेठ से पूछते है क्या हुआ मै तुम्हे पहले भी देखा हूं। परन्तु तुुम इतने कमजोर कैसे हो गए, कौन सी चिंंता तुम्हे खाए जा रही है। संन्यासी की बात सुनकर वह सेठ सन्यासी से कहता है। मैं मृत्यु को प्राप्त नहीं होना चाहता हू। कही मुझे मृत्यु ना आ जाए। सेठ की बात सुनकर वह सन्यासी मुस्कुराकर बोले अच्छा तुम्हे मृत्यु का भय है, वह सेठ कहता है। हा मेरे पास इतना सारा धन है, इसका उपयोग कौन करेगा मुझे मृत्यु को प्राप्त नहीं होना है। मुझे जीना है। वह संत कहते है, तुम्हारी इस समस्या का मै अभी समाधान निकलता हूं। संत की बात सुनकर सेठ बहुत खुश होता है। उस संत के आगे हाथ जोड़ता है। और कहता है, कृपा करके मेरे इस समस्या का समाधान कीजिए वह संत उस सेठ से कहते है, मै तुम्हे एक मंत्र देता हूं। तुम बस इसका उच्चारण भीतर भी और बाहर भी करना। मतलब मुंह से भी यही मंत्र बोलना और अपने भीतर मन में भी यही मंत्र बोलना। यह मंत्र है, जब तक मुझे मृत्यु नहीं आयेगी तब तक मै जिऊंगा – जब तक मुझे मृत्यु नहीं आयेगी तब तक मै जिऊंगा। तुम इस मंत्र को सात दिन तक लगातार जपना। मैं सात दिन बाद आऊंगा। और वह सन्यासी वहा से चले जाते है। सात दिन बाद वह सन्यासी आते है, तो वह देखते है कि सेठ स्वस्थ होने लगता है, और सेठ उस सन्यासी को देखकर उनके चरणों में गिर पड़ता है। और उनको धन्यवाद कहता है। वह सेठ कहता है, आपके मंत्र ने कमाल ही कर दिया अब मै मृत्यु से भयभीत नहीं हूं, क्योंकि जब तक मृत्यु नहीं आयेगी तब तक मै अपना जीवन जिऊंगा। पहले मै मृत्यु के डर के कारण जीवन जी नहीं पा रहा था। परन्तु आपके मंत्र ने मेरा जीवन ही बदल दिया।

जब तक उस सेठ को दूसरे सेठ के बारे में नहीं पता चला था। तब तक वह केवल धन के बारे में सोचता था और दिन रात उसके धन में वृद्धि हो रही थी और उसका स्वास्थ भी ठीक रहता था। वह अपने जीवन से खुश था। परन्तु जब वह मृत्यु के बारे में सोचना शुरू कर दिया तो वह मृत्यु के करीब जाने लगा और ऐसा क्षण आ गया कि वह कभी भी मृत्यु को प्राप्त हो सकता था। 
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हम जो भीतर और बाहर रटते। वहीं हमारे जीवन में घटित होने लगता है, इसलिए हमें हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए।

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