जनसंख्या वृद्धि की समस्या और उनके निवारण के उपाय – Bharat me jansankhya vridhi ki samsya par nibandh

 

जनसंख्या वृद्धि पर निबन्ध  Essay on population growth in hindi

प्रस्तावना – आज हमारा देश कई समस्याओं से ग्रसित है, उनमें से एक समस्या है जनसंख्या वृद्धि। आज असंख्य लोगों को रहने के लिए घर, तन ढकने के लिए पर्याप्त वस्त्र और खाने के लिए भरपेट भोजन भी नहीं मिल पाता। आखिर क्यों इसका एकमात्र कारण है- जनसंख्या की अत्यधिक वृद्धि। जनसंख्या की अपार वृद्धि के कारण संपूर्ण देश की प्रगति अवरूद्ध हो रही है। भारतवर्ष में विश्व की कुल जनसंख्या का छठा भाग निवास करती है। सन 1981 की जनगणना के अनुसार भारतवर्ष की जनसंख्या 63.38 करोड़ थी। जबकि सन 1991 की जनगणना के अनुसार यह संख्या बढ़कर 84.39 करोड़ हो गई। मार्च सन् 2001 तक यह आंकड़ा एक अरब तक पहुंच गई। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 1 अरब 21 करोड़ है। यधपी जनसंख्या किसी देश अथवा राज्य का प्रमुख तत्व है, और उसके बिना किसी राज्य एवं जाति की कल्पना नहीं की जा सकती, लेकिन जनसंख्या वृद्धि का यह दानव आज सम्पूर्ण भारतवर्ष के सामने एक नई समस्या खड़ा कर रहा है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण  Due to population growth in India

भारतवर्ष में जनसंख्या की अत्यधिक वृद्धि के कुछ विशेष कारण इस प्रकार है

जन्म-दर की अधिकता – भारत में जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण, जन्म-दर की अधिकता तथा मृत्यु दर की कमी है। अधिकांश लोग अभी भी परिवार नियोजन को नहीं अपनाते तथा इसके और भी अन्य कारण जैसे अनिवार्य, विवाह, रूढ़िवादिता, अशिक्षा निर्धनता आदि इसके लिए उत्तरदाई है। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार से मृत्यु दर कम हुई।

विवाह की अनिवार्यता – धर्म प्रधान देश होने के कारण भारत में, विशेषता हिंदुओं में विवाह एक धार्मिक संस्कार माना जाता है। मोक्ष की प्राप्ति गृहस्थ आश्रम के धर्म का पालन करके तथा वंश को आगे चला कर ही हो सकती है। इससे जनसंख्या वृद्धि होना स्वभाविक है।

Essay on population growth in hindi

बाल विवाह प्रथा – बाल विवाह जैसी कुरीतियां भी जनसंख्या वृद्धि के लिए उत्तरदाई है। आज भी भारत में अनेक राज्यों जैसे राजस्थान में बाल विवाह का प्रचलन पाया जाता है। बल विवाह होने के कारण स्त्रियों का प्रजनन काल लंबा हो जाता है और जनसंख्या वृद्धि होती है।

गर्म जलवायु – कुछ लोगों ने गर्म जलवायु को भी जनसंख्या वृद्धि का कारण बताया है। गर्म जलवायु के कारण छोटी उम्र में परिपक्वता आ जाती है और प्रजनन अवधि लंबी हो जाती है। इससे जनसंख्या वृद्धि में सहायता मिलती है।

पुत्र प्राप्ति को महत्त्व – भारत में पुत्र प्राप्ति पितृ ऋण से उऋण होने के लिए अनिवार्य मानी जाती है। इसलिए अगर पहली संताने लड़कियां होती है तो पुत्र प्राप्ति की इच्छा से जनसंख्या में निरंतर वृद्धि होती रहती है।

अशिक्षा – अशिक्षा भी जनसंख्या वृद्धि का कारण है क्योंकि इससे न तो लोग परिवार नियोजन के साधन अपनाते हैं और ना ही अधिक जनसंख्या के परिणामों के बारे में ही जानते हैं। अशिक्षित लोग अंधविश्वासी भी अधिक होते हैं जिसके कारण जनसंख्या वृद्धि होती है।

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निर्धनता – कुछ लोग निर्धनता को भी जनसंख्या वृद्धि का कारण मानते हैं क्योंकि निर्धन लोग बच्चो को आर्थिक दृष्टि से उपयोगी मानते हैं। इनके पास मनोरंजन के साधनों का भी अभाव पाया जाता है तथा यौन सुख की एकमात्र साधन रह जाता है। निर्धन लोग परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति भी उदासीन होते हैं।

संयुक्त परिवार – संयुक्त परिवार प्रणाली को भी कुछ सीमा तक जनसंख्या वृद्धि का कारण माना जाता है। इसमें सामान्य संपत्ति होने के कारण मां-बाप बच्चों को अपने ऊपर बोझ नहीं मानते हैं तथा इनसे संतान वृद्धि होती रहती है।

भारत में बढ़ती जनसंख्या रोकने के उपाय  Measures to stop increasing population in India

भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने के लिए कुछ प्रमुख उपाय इस प्रकार है।

विवाह की आयु में वृद्धि – जनसंख्या वृद्धि रोकने का एक सरल उपाय विवाह की आयु में वृद्धि से प्रजनन अवधि कम करना है। अगर लड़के के लिए विवाह की आयु 25 वर्ष तथा लड़की के लिए 22 वर्ष कर दी जाये तो जनसंख्या वृद्धि को काफी सीमा तक रोका जा सकता है। आज के समय में यही वह आयु है जिसमें अधिकांश लड़के और लड़कियां आत्म निर्भर होते हैं। इस दिशा में कानून बनाकर इसके पक्ष में जनमत तैयार किए जाने की आवश्यकता है।

आत्मसंयम – जनसंख्या की वृद्धि को केवल वैधानिक तरीकों से ही नहीं रोका जा सकता है। इसमें आत्म संयम अधिक प्रभावकारी है। अगर जनसाधारण स्वयं जनसंख्या वृद्धि के लिए सचेत हैं तो वे परिवार नियोजन या आत्मसंयम द्वारा इसे कम करने में अपना सहयोग दे सकते हैं।

शिक्षा का प्रसार – परिवार नियोजन व परिवार कल्याण को शिक्षा के प्रसार द्वारा और अधिक सफल बनाया जा सकता है। शिक्षित व्यक्ति छोटे परिवारों के महत्व को सरलता से समझ जाते हैं तथा स्वयं परिवार नियोजन के लिए प्रेरित होते हैं।

स्वस्थ मनोरंजन – भारत में स्वस्थ मनोरंजन के साधनों के अभाव में विवाहित युगलों के लिए यौन सुख ही एकमात्र ऐसा साधन रह जाता है। अतः मनोरंजन के साधनों में थोड़ी वृद्धि करके इस दिशा में थोड़ी बहुत सफलता मिल सकती है।

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परिवार नियोजन की उपयोगिता – संसार के समस्त प्राणी अपने जीवन को सुख एवं व्यवस्थित बनाना चाहते हैं। ऐसा तभी सम्भव है, जब व्यय का अनुपात आय के अनुकूल हो।व्यक्ति व्यय को तो नियंत्रित कर सकता है, किंतु आय की सीमाएं होती है। यदि परिवार सीमित है तो व्यक्ति कम आय में भी अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान दे सकता है और स्वयं को भी व्यवस्थित रख सकता है। परिवार सीमित रहे, इसके लिए आवश्यक है-परिवार नियोजन। बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियंत्रण करने का सर्वोत्तम साधन ब्रह्मचर्य का पालन है, किंतु भौतिकवादी युग का पूर्णतया पालन संभव प्रतीत नहीं होता। नियोजित परिवार हमारे देशवासियों से छिपी नहीं है। छोटा परिवार सुखी परिवार का संदेश जन-जन तक कण्हार बन गया है। परिवार नियोजन का जो चिन्ह लाल तिकोन है जो स्वास्थ्य शिक्षा एवं समृद्धि अथवा सुख, शांति और विकास का प्रतीक है। यह चिन्ह पति, पत्नी एवं बालक का भी सूचक है।  इसके अलावा परिवार नियोजन से हमारे देश और समाज तथा व्यक्ति तीनों को ही लाभ है। परिवार नियोजन अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवन सुख एवं शांति से व्यतीत कर सकेगा। तथा वे अपने रहन-सहन का स्तर भी ऊंचा कर सकते है। तथा वह अपने परिवार की प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति करता हुआ उन्हें अधिक सुखी रख सकता है। वास्तव में कम बच्चों वाले माता-पिता अपने सभी बच्चों की शिक्षा। एवं उसके स्वास्थ्य का समुचित प्रबंध कर सकते हैं। इस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने एवं निर्धनता के अभिशाप को दूर करने में परिवार नियोजन  महत्वपूर्ण स्थान है।

Essay on population growth in hindi

उपसंहार – आज भारतवर्ष में वे कुप्रथाएं समाप्त होती जा रही है जिनसे जनसंख्या में वृद्धि हो रही थी। बाल विवाह जैसी कुप्रथा अब लगभग समाप्त हो गई है और शिक्षा का निरंतर प्रसार हो रहा है। परिणामत: भारत की जनता परिवार नियोजन के महत्व को जानकर जनसंख्या की वृद्धि को रोकने के लिए प्रयासरत है। चिकित्सा क्षेत्र में नवीन पद्धतियों के आने से गर्भनिरोधक साधनों के प्रति जनता का भय समाप्त हो गया है। अतः राष्ट्र हित को देखते हुए हमें जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण रखना होगा। तभी देश प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा।

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