दशहरा पर लघु निबंध – Short essay on Dussehra in Hindi for Class 3

 

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हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों का किसी न किसी रूप में कोई विशेष महत्व जरूर है। इन पर्वों से हमें जीवन में उत्साह के साथ-साथ विशेष आनंद की प्राप्ति होती है। हम इनसे परस्पर प्रेम और भाईचारे की भावना ग्रहण कर अपने जीवन को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाते हैं। साथ ही इन त्योहारों से हमें सच्चाई, आदर्श और नैतिकता की शिक्षा भी मिलती है। हिंदुओं के प्रमुख धार्मिक त्योहारों में होली, रक्षाबंधन, दीपावली तथा जन्माष्टमी की तरह दशहरा (विजयादशमी) भी प्रमुख त्योहार है।

Essay on dussehra in hindi

दशहरा मनाने का कारण – दशहरा मनाने का कारण यह है कि इस दिन महान पराक्रमी और मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान राम ने महाप्रतापी व अभिमानी लंका नरेश रावण को पराजित ही नहीं किया अपितु उसका अंत करके उसके राज्य पर भी विजय प्राप्त की थी। इस खुशी और उल्लास में यह त्यौहार प्रतिवर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता। शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा के नौ रूपों की नवरात्र पूजन के पश्चात आश्विन शुक्ल दशमी को इसका समापन कर यह त्यौहार मनाया जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार महिषासुर नामक एक राक्षस था। राज्य की जनता उसके अत्याचार से भयभी थी। दुर्गा मां ने उसके साथ युद्ध किया युद्ध के दसवें दिन आखिरकार महिषासुर का मां दुर्गा ने वध कर डाला। इस खुशी में यह पर्व विजय के रूप में मनाया जाता है। बंगाल के लोग इसलिए इस पर्व को दुर्गा पूजा के रुप में मनाते हैं।

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कैसे मनाया जाता है दशहरा – हिंदी भाषी क्षेत्रों में नवरात्र के दौरान भगवान राम पर आधारित लीला के मंचन की प्रथा प्रचलित है। अश्विन शुक्ल प्रतिपदा से रामलीला मंचन का आरम्भ होकर दशमी के दिन रावण वध की लीला मंचित कर विजय पर्व विजयादशमी मनाया जाता है। रावण वध से पहले भगवान राम से संबंधित झांकियां निकाली जाती है। 

पश्चिम बंगाल में यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। वहां के लोगों में यह धारणा है कि इस दिन ही महाशक्ति दुर्गा ने कैलाश पर्वत को प्रस्थान किया था। इसके लिए दुर्गा की याद में लोग दुर्गा पूजा उत्सव मनाते हैं। इसके तहत अश्विन शुक्ला सप्तमी से दशमी (विजयादशमी) तक यह उत्सव मनाया जाता है। इसके लिए यह महापर्व से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती है। बंगाल में इन दिनों विवाहित पुत्रियों को माता-पिता द्वारा अपने घर बुलाने की प्रथा है। रात भर पूजा उपासना और अखंड पाठ एवं जाप करते हैं। दुर्गा माता की मूर्तियां सजा-धजा जाकर बड़ी श्रद्धा और शक्ति के साथ उनकी झांकियां निकाली जाती है। बाद में मां दुर्गा की मूर्तियों को पवित्र जलाशयों, नदी या तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है। दशहरा का त्योहार मुख्य रूप से राम-रावण युद्ध प्रसंग से ही जुड़ा है। इसको प्रदर्शित करने के लिए प्रतिपदा से दशमी तक रामलीलाएं मंचित की जाती है। दशमी के दिन राम रावण के परस्पर युद्ध के प्रसंगों को दिखाया जाता है। इन लीलाओं को देखकर भक्तजनों के अंदर जहां भक्ति भावना उत्पन्न होती है, वही दुसरी रावण के प्रति क्रोध भी उत्पन्न होता है।

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इस दिन बाजारों में मेला सा लगा रहता है। शहर ही नहीं छोटे-छोटे गांव में इस दिन मेले लगते हैं। किसानों के लिए इस दिन त्यौहार का विशेष महत्व है। वे इस समय खरीफ की फसल काटते हैं। इस दिन सत्य के प्रति के शास्त्रों का शास्त्रीय विधि से पूजन भी किया जाता है। प्राचीन काल में वर्षा काल के दौरान युद्ध करना प्रतिबंधित था। विजयादशमी पर शास्त्रागारो से शस्त्र निकालकर उनका शास्त्रीय विधि से पूजन किया जाता था। शास्त्र पूजन के पश्चात ही शत्रु पर आक्रमण और युद्ध किया जाता था।

निष्कर्ष – दशहरा का त्यौहार हमारी सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है। इसे मनाते समय हमें पाप-पुण्य, अच्छा-बुरा, नैतिक-अनैतिक जैसे मानवीय और पाशविक प्रवृत्तियों का ज्ञान होता है। विजयादशमी का त्यौहार असत्य पर सत्य की विजय का संदेश देता है। हमें निष्ठा और पवित्र भावना से इस त्यौहार को मनाना चाहिए धार्मिक दृष्टि से विजयादशमी का पर्व आत्म शुद्धि का पर्व है।

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