बाल कविता । hindi poem for class 1

 

 

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बच्चे उस कच्ची मिट्टी के समान होते हैं, जिसे आप कोई भी रूप और आकार दे सकते हैं। इसलिए बहुत जरूरी होता है कि, बच्चो में अच्छे संस्कार और व्यवहारिक ज्ञान का विकास हो।
बच्चो में अच्छे ज्ञान और अच्छे संस्कार को विकसित करने के लिए आप उन्हें अच्छी बाते और प्रेरणा दायक विचार या फिर प्रेरणा दायक बाल कविता के माध्यम से विकसित कर सकते हैं।
इसी से सम्बन्धी आज हम आपके लिए बाल कविता लेकर आए हैं, आशा करता हूं कि यह आपको जरूर पसंद आएगा।
 
 
 

बच्चों अब तुम विद्या पढ़ लो,

उन्नति की चोटी पर चढ़ लो,

विद्या पढ़कर सुख पाओगे,

नहीं पढ़ोगे दुःख पाओगे।

विद्या कभी न चोर चुरावे।

भाई हिस्सा बांट न पावे,

राजा छीन सके न विद्या,

उत्तम धन कहलाये विद्या।

जिनकी पूंजी विद्या धन की,

राजा करता इज्जत उनकी,

जिनके पास विद्या नहीं है,

उसके सुख का आस नहीं है।

विद्या की महिमा है भारी,

यह सम्पत्ति है सभी की प्यारी,

बच्चों पढ़ने में मुंह खोलो,

विद्या माता की जय बोलो।

 

 

 

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क्षमा करना सीखो, दण्ड देना नही।
उपकार करना सीखो, शक करना नही।
 
मनुष्य बनना सीखो, भगवान बनना नही।
पुजारी बनना सीखो, चापलूस बनना नही।
 
सत्य बोलना सीखो, असत्य बोलना नहीं।
निडर बनना सीखो, कायर बनना नही।
 
घर बनाना सीखो, उजाड़ा नही।
जिंदगी बनाना सीखो, बिगाडना नही।
फूल बनना सीखो, कांटा बनना नही।

 
 
दोस्तो यह प्रेरणा दायक बाल कविता आपको पसंद आया हो तो इसे अधिक से अधिक लोगों को शेयर जरूर करें धन्यवाद।
 
 
 
 

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