प्रकृति पर छोटी कविता – hindi poem on nature

 

 

दोस्तो प्रकृति हमसे बिना कुछ लिए और बिना किसी स्वार्थ के हमे केवल देना जानती है, लेकिन आज मानव इतने स्वार्थी हो गए हैं की अपने अनावरत विकास के खातों अपने सच्चे साथी और परम हितैसी को ही नष्ट करने पर उतारू हो गया है। लेकिन आज भी इस लोग हैं जो इन्हें बचाने और पर्यावरण को बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। तो दोस्तो आज हम आपके लिए इन्ही की विशेषता बताते हुए कुछ कविताएं प्रस्तुत कर रहा हूं।

 

hindi kavita on nature ।। Prakritik par Kavita।। Natural poem in hindi

 

 
 
कुदरत से सीखो जीना
कैसे खाना कैसे पीना
 
छोटी सी चिड़िया को देखो
दिनभर मेहनत करती हैं
 
छोटे छोटे दिनो दानों से वह
अपनो का पेट भरती है
 
कुदरत से सीखो जीना
कैसे खाना कैसे पीना
 
ऊंचे पेड़ों को देखो
छाया हमको देते है
 
तेज चटकते धूप को वह
अकेले ही सह लेते हैं
 
कुदरत से सीखो जीना
कैसे खाना कैसे पीना
 
 
 

कुदरत पर कविता – kudarat par Kavita ।। Short poem in hindi on nature

 
प्रकृति हमारी प्यारी धरती,
अद्भुत सौंदर्य से भरी अनमोल विरासत।
 
पहाड़, झील, जंगल, बाग,
सबके मन में बसी तुम्हारी ख्वाहिश।
 
सूर्य की किरणे तुम छूकर,
बनाती हो रंगीन अपनी सुन्दर छवि।
 
फूलो की खुशबू से महकती है हवा,
जीवन में भर देती है नयी उमंगों का सवेरा।
 
प्रकृति सौंदर्य से सजी ये हमारी धारा,
मन को लुभाती हैं अपनी हर बारा।
 
पंखों से सजाते हैं पक्षियों को आकाश,
गाते हैं मधुर संगीत, जीते हैं प्यार के राग।
 
प्रकृति, तुम हो सबका संरक्षक,
हो हमारे जीवन का अमूल्य हिस्सा।
 
समय-समय पर याद दिलाती हो,
कितना महत्वपूर्ण है तुम्हारी संरक्षक।
 
चलो हम सब मिलकर तुम्हारी देखभाल करे,
बनाए इस जगत को खुशहाल और समृद्धि।
 
 
 
 

प्रकृति पर कविता short – short poem in hindi on prakriti

 
प्रकृति है एक मां की भाती,
केवल हमे देना जानती है।
 
निस्वार्थ करती सभी प्राणी का सेवा,
बिना किसी भेदभाव के।
 
देती सबको समान हवा,
और समान फल-फूल।
 
लेकिन आज मानव अनावरण विकास के लिए,
करने लगा इनका दोहन।
 
भूल गए की ना खाने के लिए देंगे औधोगिक विकास,
जब से ना देंगे पेड़-पौधे फल-फूल और नदी जल।
 
तब से ना बूझेंगी ए मानव तुम्हारी
भूख और प्यास।
 
 

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