जीवन में खुश रहना बहुत जरूरी है, जब हम खुश रहते हैं तो हम फ्री माइंड से किसी भी कार्य को करते हैं। वही जब हम दुखी रहते हैं तो हम किसी भी कार्य को अधूरे मन से करते हैं। इसलिए किसी ने कहा है कि, खुशी के लिए काम करोगे तो खुशी नहीं मिलेगी, “लेकिन खुश होकर काम करोगे तो खुशी जरूर मिलेगी”
अब बात आती हैं की खुश कैसे रहे, खुश रहने के लिए आप हास्य कविता hasya kavita या funny quotes पढ़ सकते हैं। जिससे आप हमेशा खुश रह सकते हैं। इसलिए आज हम आपके लिए खुश करने वाली कुछ हास्य कविता आपके साथ शेयर कर रहे हैं।

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जय बाबा ज्ञान गुर सागर
मम्मी हंसती रोते फादर।
योगी बाबा जोगी
दूर करो पैसे की तंगी।
लंकेश्वर भए सब कुछ जाना
घुस खोरों से हमे बचाना।
भूत पिशाच समीप नहीं आवै
पिक्चर की तब बात सुनावै।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना,
मार-पीट से कभी न डरना।
सुबह सवेरे ही यह आये
भोंपू-भोपू शोर मचाये।
जब आप कहे तब सब लोक उजागर
रसगुल्ले से भर दो सागर।
बाबा अतुलित बल थामा
पंक्चर बनाये सब नेता पारेता।
प्रभु डायमंड अभी तक मेले नही माही
फेल हो गये अचरज नाही।
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अपनो ने मुझको मारा,
गैरो में कहा दम था,
मेरी हड्डी भी टूटी वही,
जहां अस्पताल बंद था।
मुझे एम्बुलेंस में बिठाया,
जिसका पेट्रोल खत्म था,
मैं रिक्से पे लाया गया,
क्योंकि उसका किराया कम था।
मुझे डॉक्टरों ने उठाया,
नर्सों में कहा दम था,
मुझे बिस्तर पर लिटाया गया,
जिसके नीचे बम था।
मुझे बम से उड़ाया,
गोली में कहा दम था,
मुझे अपनो ने मारा,
गैरो में कहा दम था।
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देश तबाह है, नेता से।
बाप तबाह है, बेटा से।।
नाक तबाह है, सेन्ट से।
लेडिज तबाह है, जेन्ट से।
गरीब तबाह है, जाड़ा से।
मजदूर तबाह है, भाड़ा से।।
बेटी तबाह है, फैशन से।
टैंक तबाह है, बारूद से।।
सड़क तबाह है, टैक्स से।
पुलिस तबाह है, वर्दी से।।
जनता तबाह है, गुंडागर्दी से।
बच्चे तबाह है, मोबाइल से।
मास्टर तबाह है, पिटाई से।
मुंह तबाह है, खाने से।।
पेट तबाह है, पचाने से।
बांध तबाह है, सरिता से।।
कवि तबाह है, कविता से।
डाक्टर तबाह है, आला से।
मंत्री तबाह है घोटाला से।।
हास्य कविता । Hasya Kavita exam time
इतिहास का पेपर था उस दिन,
चिंता से हृदय धडक रहा था।
जो प्रश्न मैने याद किए,
उनमें से आधे याद हुए।
स्कूल पहुंचते-पहुंचते यादों से,
वे भी सहसा लुप्त हुए।
जो सीट दिखाई दी खाली,
उस पर ही डर कर जा बैठा था।
एक निरीक्षक कमरे में वह छात्र आया,
झल्लाया- सा तू इस सीट पर।
क्यों बैठा? ये मेरी सीट है मैं,
उझलता एक गेंद सा।
जो बेंच द्वारा कैच हुआ,
जब प्रश्न पत्र आया मेरे आगे।
मैं भीग गया पसीने से,
बस मैंने उत्तर पेपर पर।
कलम कुल्हाड़ी दे मारी,
और कुछ ही घंटो में प्रश्नों के वारे-
न्यारे कर डाले।
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जहां पैसे से डिग्री बिकती,
वहा मरि मरि पढिके का होई।
जहां पैसे की कीमत सब कुछ,
वहा नाक रगड़ के का होई।
जहां भाई-भतीजा वाद चले,
वहा मेहनत करिके का होई।
जहां रात-दिन बिजली जलती,
वहा दीप के झील-मिल का होई।
जहां बड़े-बड़े उधोग लगे,
वहा टूटपूजियत के का होई।
जहां हर पल बम के गोला गिरे,
वहा शांति कपोल के का होई।
जहां रक्षक ही सब भक्षक है,
वहा न्याय व्यवस्था का होई।
जहां स्वार्थ-नीति ही सर्वोपरी हो,
वहा देश की हालत का होई।
मानीटर – hasya kavita for students ।
जब जो बने क्लास मानीटर,
तब अपनी है शान दिखाते।
आता जाता खाक नही,
पर अपना है रौब जमाते।
जब कक्षा खाली होती,
तब खुद टीचर बन जाते।
आधी चाक मेज पर रखते,
आधा घर लेकर जाते।
उनका नाम तुरंत लिख लेते,
जो बालक सोर मचाते।
अध्यापक जी के आने पर,
फौरन उनको स्लिप पकडाते।
आता जाता खाक नही,
पर है मानीटर कहलाते।
दोस्तों यह हास्य कविता आपके पसंद आया हो तो इसे अधिक से अधिक लोगों को शेयर जरूर करें धन्यवाद।
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