सीख देने वाली कहानी । Seekh dene wali kahani

 

ज्ञान देने वाली कहानी । best inspirational story in hindi । Short motivational story in hindi

 

पंकजवन में टीपू बंदर सभी बंदर से चालक था। एक दिन रैतु खरगोश, जंबो हाथी और बिट्टू भालू आदि पंकजवन के जानवर को एक परेशानी हुई। यह परेशानी थी की शहर से उनके नाम से कोई चिट्ठी आती थी तो जम्बो जिराफ दोगुना समय लगा देता था वो भी पैसा न देने पर चिट्ठी न मिलती थी। सभी ने निर्णय किया की पंकजवन का डाकिया टीपू बंदर बन जाए। अब वह सभी को तुरंत चिट्ठी पहुंचा देता था। पंकजवन के सभी जानवर टीपू बंदर से खुश थे। जब टीपू बंदर ने देखा कि सब हमें चाहते हैं, तो वह पैसे की जगह एक केला लेटा था। दिनों दिन उसकी काम चोरी बढती जा रही थी। अब वह केले की जगह पैसा लेने लगा। सभी जानवरों ने देखा कि अब टीपू बंदर कामचोर हो गया है तो पंकजवन में एक बैठक की। सभी बोले की टीपू बंदर कामचोरहो गया है। अब हमें डाकिया बिट्टू भालू को बना देना चाहिए, परंतु जंबो हाथी बोला अब इस जंगलमें कोई भी नया डाकिया नही बनेगा।

सभी जानवरोंl ने पूछा कि अगर नया डाकिया नहीं बनेगा तो चिट्ठी हमलोग को कैसे मिलेगी।

जंबो हाथी ने कहा-अब शहर के रिश्तेदारों, दोस्तों, भाई एवं माता-पिता को खबर भिजवा दीजिए की अब वे चिट्ठी न लिखे। तो देखेंगे की टीपू बंदर अपने घर में कितना दिन बैठ कर खायेगा।

तभी बिट्टू भालू ने कहा, जंबो भईया, हमें तो आपका उपाय बहुत अच्छा लगा। पंतु अगर किसी को शहर में कुछ हो जाए तो हमे खबर कैसे मिलेगी। सभी जानवर बोले हां, कैसे मिलेगी?

जम्मू हाथी बोला-शांत हो जाओ। हम लोग मिलकर पंकजवन में एक बूथ खोलेंगे। सभी जानवर नंबर लगाएंगे और बात हो जाएगी। सभी जानवर जंगल में एक बूथ खोलें और खुश हो गए। टीपू बंदर को अपने भूल का एहसास हुआ और फिर ईमानदारी से काम करने लगा। इसलिए हमे अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए और आप तो जानते ही हैं की ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है। फिर भी भूल कर बैठते हैं।

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