ज्ञान देने वाली कहानी – gyan Dene wali kahani

 

Gyan dene vali kahani । Baccho ke liye Gyan dene vali kahani

 

एक जंगल में एक तीतर और लोमड़ी बड़े प्रेम से रहते थे। लोमड़ी चट्टान के नीचे एक खोल में रहती थी और तीतर उसके पास ही झाड़ी में रहता था।

जंगल के आसपास कहीं गांव थे। एक गांव में पवन चक्की थी। वहां गेहूं पीसा जाता था। चक्की का मालिक एक नौजवान था। चार-पांच उसके दोस्त थे जो उसके साथ ही रहते थे। जब तक चक्की चलती रहती, तब तक वे सब जंगल में घुस जाते और पक्षियों और छोटे जानवर खरगोश आदि का शिकार करते, फिर उन्हें भूनकर मजे से खाते। इस कारण जंगल के पक्षी व छोटे जानवर भयभीत रहती। तीतर और लोमड़ी भी परेशान रहते।

एक दिन तीतर और लोमड़ी घूमने निकले। घूमते घूमते वे चक्की के पास आ गए। उस समय वहां चक्की वाला नहीं था। वह अपने साथियों के साथ शिकार करने गया था। तीतर ने लोमड़ी से कहा- जा बहन तू पेट भर आटा खा, जब चक्की वाला आएगा तो मैं तुम्हें आवाज लगा दूंगा।

उस दिन लोमड़ी ने फिर घर आता खाया। इसी तरह लोमड़ी रोज भीलवाड़ा आटा खाती। चक्की वाला रोज आता काम देखकर परेशान हो जाता। अब उसने सिकार पर जाना छोड़ दिया। उधर लोमड़ी को आटा खाने की आदत पड़ गई थी। उसे जब काफी दिनों से आता खाने को नहीं मिला तो उसे बड़ी बेचैनी होने लगी।

एक दिन लोमड़ी ने तीतर से कहा अब तो आटा खाने को मिलता ही नहीं क्योंकि चक्की वाला हमेशा चक्की के पास ही बैठा रहता है।

तीतर से लोमड़ी की परेशानी देखी नहीं गई तो वह बोला तुम चिंता मत करो बहन आज तुम मेरे साथ चलो मैं तुम्हें आटा खिलाकर लाता हूं। मगर कैसे भईया?

टीचर ने उसे अपनी योजना समझाइए। दोनों छिपते छुपाते गांव में पहुंचे। वहां जाकर तीतर चक्की वाले के पास फुदकने लगा। चक्की वाले लड़के और उसके दोस्तों ने घर बैठे शिकार आया देखकर मन ही मन खुश हुए और फिर वह पत्थर लेकर उसके पीछे दौड़े तीतर उन्हें भागकर दूर ले गया।

उधर लोमड़ी ने फिर भर आटा खाया। फिर दोनों जंगल में भाग गए। एक दिन लोमड़ी ने तीतर से कहा भैया तीतर इन लोगों ने जंगल के जीवों को बहुत परेशान कर रखा है इन्हें सबक सिखाना चाहिए।

तीतर ने कहा तुम देखते जाओ कि मैं क्या करता हूं।  एक दिन चक्की वाला और उसके दोस्त चक्की के बाहर बैठे शिकार पर जाने की योजना बना रहे थे, सभी के हाथों में लाठियां थी। तभी तीतर वहां पहुंचा और उड़कर एक लड़के के सिर पर बैठ गया। बगल वाले ने अपनी लाठी उसके सिर पर दे मारी। इसी तरह उड़ उड़कर सबके सिर पर बैठता रहा। सब तीतर को मरने के चक्कर में एक दूसरे के सिर पर लाठियां मरते रहे। देखते ही देखते सबके सिर में गूमर निकल आया। वे सब अपना अपना सर मसलते मसलते एक दूसरे को भला बुरा कहने लगे। 

इधर तीतर उन्हें चकमा देकर झाड़ियां में छपी लोमड़ी के पास पहुंचा तो देखा कि उसका तो हंसते-हंसते बुरा हाल है। क्यों बहन कैसी रही मेरी तरकीब?

‘बहुत बढ़िया बहुत मजा आया’

उसके बाद लोमड़ी और तीतर इसी प्रकार घूम-घूम कर शिकारी को परेशान करते। अतः उन्होंने पक्षियों व छोटे जानवरों का शिकार करना छोड़ दिया। अब जंगल के जानवर निर्भय होकर अपना जीवन व्यतीत करने लगे।

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